एनपीए कि फुल फॉर्म कि जानकारियां – NPA full form in hindi
NPA full form in hindi – आज के इस आर्टिकल में हम npa के बारे में पढ़ेंग क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो बैंको से लोन लेते समय या फिर कहीं और से npa का नाम सुनते है लेकिन उन्हें npa kay hai, npa ki full form क्या है, NPA Full Form in Banking, आदि ऐसे और भी npa से रिलेटेड इन सब के बारे में कोई जानकारियां नहीं होता है
और क्या आपको भी इन सबके के बारे में कोई जानकारियां नहीं है और आप एनपीए के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें इस आर्टिकल में हमने एनपीए और Full Form of NPA in hindi के बारे में पूरे बिस्तार से बताया है
एनपीए का फुल फॉर्म क्या है | NPA full form in hindi
NPA का फुल फॉर्म – या पूरा नाम (Non Performing Asset) होता है जिसे हिन्दी में (नॉन परफार्मिंग एसेट) कहा जाता है
- Non
- Performing
- Asset
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NPA Meaning in Hindi
और अगर बात की जाए की एनपीए कि मिनिंग क्या है तो हम आपको बता दें कि जैसे आप यह तो बहुत अच्छी तरह से जानते होंगे कि जिवन जिने के लिए पैसा कितना जरूरी है और पैसा हर व्यक्ति के लिए जरूरी होता है
वैसे ही जिन लोगों के पास पैसा नहीं होता है और उन्हें पैसों कि जरूर होती है तब ज्यादातर लोग लोन कि तरफ जाते हैं चाहे वह होम लोन, हो या फिर शिक्षा लोन या कोई अन्य कैटेगरी का लोन हो और आप यह तो जानते होंगे कि बैंक से लोन के बाद हर किस्त बैंक में जमा करना होता है अर्थात् आपने बैंक से जितना भी लोन लिया है
बैंक के हिसाब से उतना EMI के पैसे हर महीने बैंक में जमा करना होता है अगर कोई भी जिसने बैंक से लोन लिया है और उसने लागातार तीन महीने तक यानी 90 दिनों तक कोई भी एक भी क़िस्त बैंक में नहीं जमा करता है तो बैंक कि तरफ से उस कस्टमर को Non Performing Asset के कैटेगरी में गिना जाता है और उन कस्टमरों पर बैंक कि तरफ से सख्ती बरखी जाती है कि वह अपने छूटे हुए किस्तों को जल्द से जल्द जमा करें
NPA kay hai
NPA का फुल फॉर्म (Non Performing Asset) होता है यह तो आप जान ही गए होंगे क्योंकि अभी हमने ऊपर पढ़ा आइए अब इसके बारे में पूरे बिस्तार से जानते हैं जब कोई व्यक्ति किसी किसी बैंक से टू व्हीलर के लिए लोन लेता है, फोर व्हीलर के लिए लोन लेता है,
या फिर Business, education, home इनमें से किसी के लिए भी लोन लेता है तो उसे (EMI) किस्तों में वापस जमा करना होता है तब उसके सामने एनपीए कि समस्या आती है खासकर के होम लोन के लिए NPA कि समस्या ज्यादा आती है जैसे कि मान लिया अगर आप बैंक से किसी प्रकार का लोन लेते हैं तो उसका क़िस्त कर महीने बैंक में जमा करना होता है
और वह व्यक्ति 2 EMI यानी लागातार दो महीने बैंक में कोई क़िस्त नहीं जमा करता है तो बैंक के agent के द्वारा उस व्यक्ति को फोन करके किस्तों के लिए सूचना दी जाती है और उसके बाद भी वह व्यक्ति किसी कारण से लागातार 3 EMI यानी तीन महीनों का किस्त बैंक में जमा नहीं कर पाता है तब व्यक्ति को एनपीए कस्टमर की कैटेगरी में गिना जाता है
customer कब NPA की कैटेगरी में गिना जाता है
अगर कोई व्यक्ति बैंक से लिए गए लोन का 3 EMI यानी तीन महीनों तक किसी कारण से बैंक में जमा नहीं कर पाता है तब उस व्यक्ति को एनपीए कि कैटेगरी में कर दिया जाता है लेकिन उससे पहले जब वह व्यक्ति दो क़िस्त यानी दो महीनों तक लगातार EMI बैंक में जमा नहीं करता है
तब दो EMI bounce होने पर वह व्यक्ति जिस बैंक से लोन लिया होता है तो उस बैंक के द्वारा उस व्यक्ति को सूचना दी जाती है कि आपने अपना 2 EMI पिछले दो महीनों से बैंक में जमा नहीं किया है आप अपने इन किस्तों को जल्द से जल्द बैंक में जमा करें नहीं तो लागातार 3 क़िस्त बैंक में ना जमा करने से आप एनपीए के कैटेगरी में आ जाएंगे लेकिन बैंक वालों के सूचना देने के बाद भी अप किसी कारण से बैंक में लागातार 3 EMI नहीं जमा कर पाते हैं
तब बैंक के तरफ से नोटिस जारी करते उस व्यक्ति को भेजा जाता है जोकि बैंक के वकील उस नोटिस को लेकर आपके पास आते हैं और उसके बाद भी बैंक की तरफ से आपको एक महीन का और समय दिया जाता है और अगर उस एक महीने के अंदर एक भी क़िस्त बैंक में जमा कर देते हैं तों आप एनपीए के कैटेगरी से बाहर आ जाते हैं लेकिन अगर आप इस
एक महीने के बिच किसी कारण से एक भी EMI बैंक में नहीं जमा करा पाते हैं तो उस बैंक की तरफ से आपके ऊपर कार्यवाही कि जाती है और आपने जिस चिज़ के लिए लोन लिए होते हैं उसे जप्त कर लिया जाता है बाईक, कार, आदि या प्रॉपर्टी या घर होता है तो उसे सील कर दिया जाता है
NPA के प्रकार
बैंकों के अनुसार NPA कस्टमरों को करणों में विभाजित किया जाता है ये रहे उन चरणों के नाम प्रकार
- sab standard assets
- Doubtful assets
- lossfull assets
sab standard assets – जब कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक से लोन लेता है तो उस बैंक को हर महीने उस बैंक में क़िस्त जमा करना होता है और अगर वह व्यक्ति एक या दो क़िस्त लागातार बैंक में जमा नहीं वह सबस्टैंडर्ड असेट्स के कैटेगरी में गिना जाता है
Doubtful assets – बैंक से लोन लेने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी कारण से बैंक में लगातार 3 किस्म यानी 3 महीने का क़िस्त नहीं जमा कर पाता है तब बैंक कि तरफ से उस कस्टमर को नोटिस जारी करके भेजा जाता है उस बैंक के वकील द्वारा भेजा जाता है
जिसमें सूचना दी गई होती हैं कि आपके पिछले तीन महीने का क़िस्त बैंक में जमा नहीं किया है उसे जल्द से जल्द जमा करें जिसके लिए उन्हें 1 महीने मतलब 30 दिनों का और समय दिया जाता है
lossfull assets – और जो कस्टमर लगाकार 3 महीने तक बैंक में क़िस्त जमा नहीं करते और उसके बाद बैंक कि तरफ से 1 और महीने का समय दिया जाता है अगर वह कस्टमर उस एक महीने के अंदर एक भी क़िस्त बैंक में जमा कर देता है तब वह एनपीए कैटेगरी से बाहर आ जाते हैं
लेकिन अगर वह उस एक महीने के अंदर एक भी क़िस्त जमा नहीं करते हैं और बैंक से दिया हुआ समय पूरा हो जाता है तो बैंक के लोन policy के आधार पर कस्टमर पर कार्यवाही कि जाती है या उस कस्टमर ने जिसके उपर लोन लिया होता है तो उसको ही जप्त कर लिया जाता है
Conclusion – NPA full form in hindi
आज के इस आर्टिकल में हमने NPA के बारे में अच्छे से पढ़ा जैसे की NPA kay hai, NPA full form in hindi, NPA ki full form, customer कब NPA की कैटेगरी में गिना जाता है आदि ऐसे और भी एनपीए से संबंधित जानकारियों के बारे में पूरे बिस्तार से पढ़ा और हमें उम्मीद है कि एनपीए पर लिखा हमारा यह आर्टिकल को
आपने पूरा पढ़ा होगा और इस आर्टिकल को पढ़ आप NPA से संबंधित सारी जानकारियों के बारे में अच्छे जान गए होंगे और अगर आप एनपीए के बारे में और भी कुछ जानना चाहते हैं या एनपीए से संबंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो हमें कमेंट में लिखकर जरूर बताएं धन्यवाद।